22 जनवरी 2025 को महाराष्ट्र के जलगांव जिले में एक दुखद रेल दुर्घटना घटी,






 22 जनवरी 2025 को महाराष्ट्र के जलगांव जिले में एक दुखद रेल दुर्घटना घटी, जिसमें कम से कम 12 यात्रियों की जान गई और 15 अन्य घायल हुए। यह हादसा उस समय हुआ जब लखनऊ से मुंबई जा रही पुष्पक एक्सप्रेस में आग लगने की अफवाह के कारण कुछ यात्री घबराकर ट्रेन से कूद गए और पास से गुजर रही कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए।

 दुर्घटना का विवरण:

पुष्पक एक्सप्रेस जलगांव और पचोरा स्टेशनों के बीच स्थित पार्धाडे रेलवे स्टेशन के निकट थी, जब कुछ यात्रियों ने एक डिब्बे से धुआं निकलते देखा। इससे ट्रेन में आग लगने की अफवाह फैल गई, और घबराए यात्रियों ने आपातकालीन चेन खींचकर ट्रेन को रोका। कुछ यात्री ट्रेन से उतरकर पास की पटरियों पर चले गए, जहां से उसी समय कर्नाटक एक्सप्रेस गुजर रही थी। दुर्भाग्यवश, कर्नाटक एक्सप्रेस ने उन यात्रियों को टक्कर मार दी, जिससे यह दुखद घटना घटी।

 पटरियों की वक्रता का प्रभाव:

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, दुर्घटना स्थल पर पटरियों में लगभग दो डिग्री का मोड़ था, जिससे कर्नाटक एक्सप्रेस के लोको पायलट के लिए आगे की दृश्यता कम हो गई और ब्रेक लगाने के लिए पर्याप्त दूरी नहीं मिली। इसके अलावा, यात्रियों को भी आने वाली ट्रेन दिखाई नहीं दी, जिससे वे समय पर प्रतिक्रिया नहीं कर सके। दोनों ट्रेनों के ड्राइवरों ने प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अपनी ओर से पूरी कोशिश की, लेकिन पटरियों की वक्रता के कारण यह हादसा टाला नहीं जा सका।

 प्राथमिक जांच और कारण:

प्रारंभिक जांच में संकेत मिला है कि पुष्पक एक्सप्रेस के एक डिब्बे में 'हॉट एक्सल' या 'ब्रेक-बाइंडिंग' के कारण चिंगारियां और धुआं उत्पन्न हुआ, जिससे यात्रियों में दहशत फैल गई। हालांकि, वास्तविक आग नहीं लगी थी, लेकिन अफवाह के कारण यात्रियों ने आपातकालीन चेन खींची और कुछ ने ट्रेन से कूदने का निर्णय लिया।

 सरकारी प्रतिक्रिया और मुआवजा:

महाराष्ट्र सरकार ने मृतकों के परिवारों को ₹5 लाख और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। इसके अलावा, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी घटना पर दुख जताया और रेलवे बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों से पूरी जानकारी ली।

 रेलवे सुरक्षा और सुधार की आवश्यकता:

यह घटना भारतीय रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। हालांकि सरकार रेलवे के आधुनिकीकरण और सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, लेकिन इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि अभी भी कई सुधारों की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पटरियों के डिजाइन, विशेषकर वक्रता वाले हिस्सों में, सुधार की आवश्यकता है ताकि ड्राइवरों की दृश्यता बढ़ाई जा सके और इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सके।

निष्कर्ष:

जलगांव की यह दुखद घटना हमें यह सिखाती है कि अफवाहों पर विश्वास करके घबराहट में लिए गए निर्णय कितने घातक हो सकते हैं। साथ ही, यह रेलवे प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि सुरक्षा उपायों को और मजबूत किया जाए, पटरियों के डिजाइन में सुधार किया जाए, और यात्रियों को आपातकालीन स्थितियों में सही तरीके से प्रतिक्रिया करने के लिए जागरूक किया जाए। केवल तभी हम भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बच सकते हैं।

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